Friday, 6 November 2015

!!! आर्य कौन थे ? (Who were Aryans) !!! ************************************


!!! आर्य कौन थे ? (Who were Aryans) !!!
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आर्य मूलतः भारतीय ही थेI उत्तर ध्रुव(North Pole) पर ब्रह्माजी के मार्गदर्शन से वेद का अध्ययन करने के लिये गये थेI उस समय उत्तर ध्रुव वेदो के अध्ययन का प्रमुख केन्द्र थाI हजारो लाखों साल उत्तर ध्रुव पर निवास के कारण आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genetic Mutation) हुआ थाI विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता का निर्माण हिमालय की गोद में ही हुआ हैI
धनगर (R2 male DNA) और यूरेशियन(R1a,R1a1,R2b) का मूल(Origin) एक ही हैI इसका मतलब आर्य भारतीय धनगर ही थे जो लाखों साल पहले उत्तर ध्रुव गये थेI
कुछ प्राचीन ऋषि धनगर समाज में से निर्माण हुए थेI आजकल सनातन धर्म(वैदिक धर्म) को सबसे प्राचीन धर्म कहा जाता है, लेकिन यह सही नहीं हैI धनगर सिद्ध परंपरा भी वैदिक परंपरा इतनी ही प्राचीन हैI
ब्रह्माण्ड निर्माण के बाद धनगर लाखों साल तक पशुपालन करते रहेI उनकी अपनी स्वतंत्र संस्कृति का निर्माण हुआI प्राचीन काल मे पशुधन सबसे श्रेष्ठ धन होता थाI पशुओं और चरवाहा क्षेत्र के लिये युद्ध होता थाI जो जीता उसका वो क्षेत्र और उस क्षेत्र का वो क्षेत्रपति यानी के राजाI बाद मे राजा का रूपांतरण बड़े सम्राट मे होने लगाI कुछ राजा जन्म से ही वैदिक थे I
अब आपके मन मे सवाल उठा होगा की धनगर की निर्मिती कैसे हुई? सबसे पहले भगवान विष्णु कि शरीर से ब्रह्माजी की निर्मिती हो गई (Darwins theory of evolution/ उत्क्रांति )I
उसके बाद ब्रह्माजी की शरीर से दस प्रजापति की निर्मिती हो गईI अंत में मनु(स्वयम्भू), ब्रह्मा द्वारा प्रकट होने के कारण ही स्वयंभू कहलाये।
प्रथम मनु का नाम स्वयंभुव मनु था, जिनके संग प्रथम स्त्री थी शतरूपा। ये स्वयं भू (अर्थात होना) ब्रह्मा द्वारा प्रकट होने के कारण ही स्वयंभू कहलाये। इन्हीं प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री की सन्तानों से संसार के समस्त जनों (आर्यों )की उत्पत्ति हुई। मनु की सन्तान होने के कारण वे मानव या मनुष्य कहलाए। स्वायंभुव मनु को आदि भी कहा जाता है। आदि का अर्थ होता है प्रारंभ। सभी भाषाओं के मनुष्य-वाची शब्द मैन, मनुज, मानव, आदम, आदमी आदि सभी मनु शब्द से प्रभावित है। यह समस्त मानव जाति के प्रथम संदेशवाहक (Progenitor of the Aryans) हैं।
मनु(स्वयम्भू) के पशुपालक वंशज आज के धनगर हैI
अब धनगर भारत के इतने प्राचीन है,उनकी अपनी प्राचीन परंपरा है तब उन्हें आदिवासी कहने मे क्या हर्ज है I
स्वयम्भू मनु की संतानें
स्वायंभुव मनु एवं शतरूपा के कुल पाँच सन्तानें हुईं थीं जिनमें से दो पुत्र प्रियव्रत एवं उत्तानपाद तथा तीन कन्याएँ आकूति, देवहूति और प्रसूति थे।
कन्याएं
आकूति का विवाह रुचि प्रजापति के साथ और प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ हुआ। देवहूति का विवाह प्रजापति कर्दम के साथ हुआ। कपिल ऋषि देवहूति की संतान थे। हिंदू पुराणों अनुसार इन्हीं तीन कन्याओं से संसार के मानवों में वृद्धि हुई। शक महाक्षत्रप रुद्रदामन 'कर्दम वंशी' चष्टन के पौत्र थेI
मनु के दो पुत्रों प्रियव्रत और उत्तानपाद में से बड़े पुत्र उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो पत्नी थीं। उत्तानपाद के सुनीति से ध्रुव तथा सुरुचि से उत्तम नामक पुत्र उत्पन्न हुए। ध्रुव ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या कर ब्रह्माण्ड में ऊंचा स्थान पाया।
स्वायंभुव मनु के दूसरे पुत्र प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिससे उनको दस पुत्र हुए थे।
उसके बाद करोड़ों साल बाद मनु(वैवस्वत)आ गयेI मनु(वैवस्वत)के वंशज ब्राह्मण और क्षत्रिय कहलायेI
धनगर इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार के सदस्य हैंI प्राचीन काल से धनगर पशुपालक और योध्दा हैI वैवस्वत मनु द्रविड़ देश के पहले राजा थेI हट्टी- मराठी, गुर्जर- गुजराथी, पाल- पाली, अहिर- अहिराणी इत्यादि प्राकृत भाषाएँ इन्हीं लोगों की देन हैI पाली प्राचीन हिंदी हैं। इंग्लिश और अनेक इंडो-यूरोपीय भाषाएं संस्कृत की देन हैI
विष्णु कि शरीर से आदिमानव की निर्मिती हो गई((Darwins theory of evolution/ उत्क्रांति )I आदिमानव के वंशज द्रविड़ और आदिवासी कहलायेI द्रविड़, द्रविड़-भाषा परिवार के सदस्य हैंIअभी कुछ साल पहले विद्वानों का मानना था की विश्व की सभी सभ्यता का निर्माण आर्यों द्वारा ही किया गाया हैI अभी भी बहुत सारे लोगों का यही वहम हैंI लेकिन आधुनिक संशोधन के बाद यह विचार गलत साबित हुआ हैंI
भारतीय संस्कृति विकास में द्रविड़ लोगों का भी अहम् हिस्सा हैI भारतीय संस्कृति का विकास आर्य और द्रविड़ लोगों का संपर्क और संस्कृति का आपस में विनिमय से हो गया है ये अभी सर्वमान्य हैI द्रविड़ द्रविड़-भाषा परिवार के सदस्य हैंI
द्रविड़ अश्मयुग(palaeolithic age) के लोग हैंI पत्थर का उपयोग करके स्थापत्य कला, भवन निर्माण, किले एवं महलों की निर्मिती,मंदिर निर्माण,शिल्पकला,चित्र व मूर्तिकला, ईटों का प्रयोग और शहरों की रचना इन्हीं लोगों की देन हैI आज भी दक्षिण भारत की वडार जाति पत्थर से जुड़े काम करती हैI
स्थापत्य कला से संबंधित गणित और गणित का विकास इनके द्वारा ही किया गया हैI पत्थर पर भाषा लिपि का निर्माण सर्वप्रथम द्रविड़ लोगों ने किया हैंI
Original post by Vinaykumar Madane

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