मराठा और मराठा-कुणबी/कुर्मी(इस लेख में मैंने भारत के पशुपाल(धनगर) और किसान (कुणबी,कुर्मी ,माली,पटेल इत्यादि) लोगों की सत्रह सदी तक की सामाजिक,आर्थिक स्थिति और तत्कालीन समाज जीवन पर प्रकाश डाला है)
दसवीं और चौदहवी सदी के बीच जो विदेशी इतिहासकार भारत यात्रा आये थे, उनके अनुसार मराठा या मर-हट्टी शब्द महाराष्ट्र के धनगर लोगों को संबोधित किया गया थाI मेषपाल(हट्टी,पाल,कुरु/ कुरुबा,गड़रिया इत्यादि), गोपाल और मेषपाल(अहीर/यदु/यादव/गवली और गवली-धनगर) और गोपालक,मेषपाल और भैसपाल(गुर्जर/गुज्जर, म्हसकर और गवली-धनगर) ये सब पशुपाल धनगर हैI मुस्लिम आक्रमण के पहले धनगर लोग शक्तिशाली और धनवान थेI
कुणबी/कुर्मी और माली लोग गाव में खेती करते थेI भारत की ओबीसी और दलित जाति का मुल कुणबी जाति मे हैI इसी कारण इन सबके उपनाम(Surname) एक जैसे होते हैI
धनगर लोग किसी एक केंद्रीय स्थान को पसंद करके विस्तृत प्रदेश को नियंत्रित करते थेI वो लोग किले या गड़/गढी मे रहते थे इसलिये उनको गड़रिया भी कहा गया हैI उनकी खुद की घुड़सवार(cavalry) और पैदल(infantry) सेना होती थीI उनका स्वतंत्र सेना शिविर(Army Camp) या सेना प्रशिक्षण केंद्र होता थाI
सत्रह सदी के बाद कुणबी या माली लोग गाव के पाटील,पटेल,चौधरी या अनेक गाव मिलाकर उसके देशमुख बनने लगे और इस तरह धीरे धीरे शक्तिशाली होने लगेI बहुत सारे कुणबी या माली लोग मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री यानी के पेशवा की सेना में भरती होने लगेI उनका संस्कृतिकरण होने लगाI वो लोग भी अपने आप को मराठा संबोधित करने लगेI
ब्रिटिश नीति और आधुनिकीकरण के कारण कुणबी/कुर्मी और माली लोगों का बहुत विकास हुआ और महाराष्ट्र में मराठा-कुणबी लोगों का एक राजकीय एवं सामाजिक शक्ति के रूप में उदय हो गयाI
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Ref: Udyotan Suri's Kuvalayamala of the eighth century.
Jump up ^ The Castes and Tribes of H. E. H. The Nizam’s Dominions, Bombay. 1920, pp. 248–66.
Jump up ^ S.B. Joshi. ’Etymology of place-names’, Annals of the Bhandarkar Oriental Research Institute, Vol. 13, 1952, 5066;
Jump up ^ also see Sontheimer. Pastoral Deities of Western India. London, 1989, p. 127.
Jump up ^ Landscapes in Conflict: Flocks, Hero-stones, and Cult in early medieval Maharashtra. Ajay Dandekar. Centre For Historical Studies, Jawaharlal Nehru University
Jump up ^ see also modern day Marathwada(Bar/ Mara-tha-wada) i.e. area around Hingoli
Jump up ^ Ibn Batutta, Travels in Asia and Africa, 1325–1354, trans. H. A. R. Gibbs (1929; reprint Delhi, 1986)227–228)
Jump up ^ A social history of the Deccan, 1300–1761: eight Indian lives, Volume 1 By Richard Maxwell Eaton, pg 191
दसवीं और चौदहवी सदी के बीच जो विदेशी इतिहासकार भारत यात्रा आये थे, उनके अनुसार मराठा या मर-हट्टी शब्द महाराष्ट्र के धनगर लोगों को संबोधित किया गया थाI मेषपाल(हट्टी,पाल,कुरु/
कुणबी/कुर्मी और माली लोग गाव में खेती करते थेI भारत की ओबीसी और दलित जाति का मुल कुणबी जाति मे हैI इसी कारण इन सबके उपनाम(Surname) एक जैसे होते हैI
धनगर लोग किसी एक केंद्रीय स्थान को पसंद करके विस्तृत प्रदेश को नियंत्रित करते थेI वो लोग किले या गड़/गढी मे रहते थे इसलिये उनको गड़रिया भी कहा गया हैI उनकी खुद की घुड़सवार(cavalry) और पैदल(infantry) सेना होती थीI उनका स्वतंत्र सेना शिविर(Army Camp) या सेना प्रशिक्षण केंद्र होता थाI
सत्रह सदी के बाद कुणबी या माली लोग गाव के पाटील,पटेल,चौधरी या अनेक गाव मिलाकर उसके देशमुख बनने लगे और इस तरह धीरे धीरे शक्तिशाली होने लगेI बहुत सारे कुणबी या माली लोग मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री यानी के पेशवा की सेना में भरती होने लगेI उनका संस्कृतिकरण होने लगाI वो लोग भी अपने आप को मराठा संबोधित करने लगेI
ब्रिटिश नीति और आधुनिकीकरण के कारण कुणबी/कुर्मी और माली लोगों का बहुत विकास हुआ और महाराष्ट्र में मराठा-कुणबी लोगों का एक राजकीय एवं सामाजिक शक्ति के रूप में उदय हो गयाI
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Ref: Udyotan Suri's Kuvalayamala of the eighth century.
Jump up ^ The Castes and Tribes of H. E. H. The Nizam’s Dominions, Bombay. 1920, pp. 248–66.
Jump up ^ S.B. Joshi. ’Etymology of place-names’, Annals of the Bhandarkar Oriental Research Institute, Vol. 13, 1952, 5066;
Jump up ^ also see Sontheimer. Pastoral Deities of Western India. London, 1989, p. 127.
Jump up ^ Landscapes in Conflict: Flocks, Hero-stones, and Cult in early medieval Maharashtra. Ajay Dandekar. Centre For Historical Studies, Jawaharlal Nehru University
Jump up ^ see also modern day Marathwada(Bar/ Mara-tha-wada) i.e. area around Hingoli
Jump up ^ Ibn Batutta, Travels in Asia and Africa, 1325–1354, trans. H. A. R. Gibbs (1929; reprint Delhi, 1986)227–228)
Jump up ^ A social history of the Deccan, 1300–1761: eight Indian lives, Volume 1 By Richard Maxwell Eaton, pg 191
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