सूर्य और अग्नि उपासक कुर्द आर्यो का इतिहास(History of Sun and Fire Worshipping Kurdish Aryans)
कुर्द सूर्य और अग्नि उपासक आर्य हैI कुर्द/मीदि/ मेंढी/मेड/मीढ़/मीढ़व/मेवाड़/अजमीढ़(मेंढा-मेंढी/हिंदी:भेड़-बकरी) साम्राज्य प्राचीन विश्व के महानतम साम्राज्यों में एक थाI विश्व इतिहास में (578 ई ० पू ०) मेड शासक अस्तायागस द्वारा नव अस्सुरियन साम्राज्य पर विजय प्राप्त कर आर्यों का पुनः शासन स्थापित किया थाI
मीदि आर्य थे। प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोदोतुस ने उन्हें आर्यन कहा है और उनकी छै जातियों में से एक जाति ब्राहमणों की थी जिसे मग ब्राहमण या मागी भी कहा गया है,जो मारकड का अपभ्रंश है। मेड आर्य-अजमीढ़ साम्राज्य जिसे एक्मेनिद एम्पायर कहा जाता हैI मीदि आर्य(मदने) धोती पहनते थे जबकि उन के सहयोगी पारसी मेड(वाघमोडे) आर्य कुर्ता पजामा पहनते थे।
मुदिराजा-कोली(चालुक्य /सोलंकी) इत्यादि द्रविड़ लोग भी प्राचीन काल से सूर्य- उपासक हैI
कुर्द सूर्य और अग्नि उपासक आर्य हैI कुर्द/मीदि/ मेंढी/मेड/मीढ़/मीढ़व/मेवाड़/अजमीढ़(मेंढा-मेंढी/हिंदी:भेड़-बकरी) साम्राज्य प्राचीन विश्व के महानतम साम्राज्यों में एक थाI विश्व इतिहास में (578 ई ० पू ०) मेड शासक अस्तायागस द्वारा नव अस्सुरियन साम्राज्य पर विजय प्राप्त कर आर्यों का पुनः शासन स्थापित किया थाI
मीदि आर्य थे। प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोदोतुस ने उन्हें आर्यन कहा है और उनकी छै जातियों में से एक जाति ब्राहमणों की थी जिसे मग ब्राहमण या मागी भी कहा गया है,जो मारकड का अपभ्रंश है। मेड आर्य-अजमीढ़ साम्राज्य जिसे एक्मेनिद एम्पायर कहा जाता हैI मीदि आर्य(मदने) धोती पहनते थे जबकि उन के सहयोगी पारसी मेड(वाघमोडे) आर्य कुर्ता पजामा पहनते थे।
मुदिराजा-कोली(चालुक्य /सोलंकी) इत्यादि द्रविड़ लोग भी प्राचीन काल से सूर्य- उपासक हैI
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